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आज से लगभग 95 वर्ष पूर्व एम वाई उस्मानी इण्टर कॉलेज, उतरौला (किंग जॉर्ज इण्टर कॉलेज, उतरौला) की स्थापना हुई। यह वह ज़माना था जब हमारा देश अंग्रेज़ी हुकूमत की ज़द में था। ग़ुलामी और अशिक्षा का अँधेरों में हम सब भटक रहे थे। हमारा इलाक़ा कुछ ज़्यादा ही पिछड़ा हुआ था। अशिक्षा को दूर करने के लिए और इलाक़ाई बच्चों को शिक्षा का खज़ाना देने के लिए मोहम्मद यूसुफ उस्मानी की अगुआई में कुछ लोग आगे आये और एक बेहतर स्कूल स्थापित करने की मुहिम की शुरुआत 1924 में की। कहते हैं कि इतिहास ख़ुद को दुहराता है। दुनिया में बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्होंने इंसानियत के लिए और जन-कल्याण के लिए अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया। शिक्षा के क्षेत्र में भी ऐसे ही बहुत लोग हुए हैं जिन्होंने बड़े-बड़े कारनामे किए हैं जिससे आज भी दुनिया में लोग उनको याद रखते हैं। कुछ ऐसी ही सोंच रखने वाले लोगों में श्री ग़ुलाम जीलानी, जायस (रायबरेली) अमेठी, एसडीओ, उतरौला, श्री एम. अमानत अली, कसेन्दा (इलाहाबाद), कौशाम्बी, तहसीलदार, उतरौला, श्री बी. उमराव अली, बी. ए. एलएलबी., उतरौला और श्री मोहम्मद यूसुफ़ उस्मानी, संस्थापक प्रबन्धक ने उतरौला के शैक्षिक उन्नयन के लिए एक विद्यालय के नींव रखने की एक सोंच ही नहीं पैदा की बल्कि बहुत बड़ा योगदान दिया। मोहम्मद युसूफ उस्मानी ने अपनी करोड़ो की ज़मीन स्कूल लिए वक़्फ़ कर दी और सन् 1927 ईo इन चारों लोगों के अतुलनीय योगदान से किंग जॉर्ज इंग्लिश स्कूल, उतरौला की नीव रखने की महत्वपूर्ण रूपरेखा तैयार की। सन् 1929 ईo में डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक इंस्ट्रक्शन यूनाइटेड प्रोविंसस द्वारा मिडिल स्तर की मान्यता लेकर शिक्षण कार्य शुरू कर दिया गया। ये कामयाबी की पहली सीढ़ी थी। ये मान्यता कक्षा एक से आठ तक थी। 15 जनवरी सन् 1930 ईo विद्यालय के भवन शिलान्यास श्री आर. जी. डी. वाल्टन, डिप्टी कमिशनर गोण्डा की याद में श्री बी. जे. के. हैल्लोवेस इसोर, आईसीएस, डिप्टी कमिशनर, गोण्डा द्वारा किया गया। 04 फरवरी सन् 1930 ई० को सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के अधीन दि उतरौला एजुकेशनल सोसाइटी, उतरौला आई-878 का पंजीकरण हुआ।
प्राचीन परिसर में कुल दस कक्षों का निर्माण हुआ जो दक्षिण-पूर्व में यू आकार में बना हुआ है। जिसमें कार्यालय, प्रधानाचार्य कक्ष, पुस्तकालय, स्टाफ रूम एवं शिक्षण कक्षों को मिलाकर कुल 10 कक्षों का निर्माण हुआ। 1937 में विद्यालय को हाईस्कूल की मान्यता प्राप्त हुई और इसी वर्ष विद्यालय का पहला बैच दसवीं पास आउट भी हुआ। यह विद्यालय किंग जॉर्ज इंग्लिश हाईस्कूल उतरौला हो गया। हाईस्कूल मानविकी वर्ग में अंग्रेज़ी, गणित-1, हिन्दी, उर्दू, संस्कृत, इतिहास, भूगोल, फ़ारसी, अरबी, नागरिक शास्त्र, अर्थशास्त्र, विज्ञान-1 और नैतिक शिक्षा विषयों की मान्यता मिली। हाईस्कूल वैज्ञानिक वर्ग में गणित-2, विज्ञान-2 और जीवविज्ञान विषय की मान्यता प्राप्त हुई। 1930-31 में कक्षा-10 का पहला बैच उत्तीर्ण हुआ। यह गौरवपूर्ण गाथा है। यह वो समय था जब मोहम्मद यूसुफ़ उस्मानी प्रबन्धक और पण्डित अकबर अली खाँ विद्यालय के प्रधानाचार्य थे। कालांतर में इन दोनों महापुरुषों के अथक प्रयास और परिश्रम से कॉलेज निरन्तर सफलता की सीढियाँ चढ़ने लगा। लगातार कामयाबी का सफ़र तय करने के बाद फ़िर इन लोगों ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। जिन लोगों ने वो ज़माना देखा है और आज ज़िन्दा हैं वे लोग आज भी उन बुजुर्गों की याद अपने सीने में सजाये बैठे हैं।
1948 में मोहम्मद यूसुफ़ उस्मानी की मृत्यु हो जाने से एक बार तरक़्क़ी की राह पर चलते स्कूली कारवां को झटका सा लगा लेकिन तरक़्क़ी का कारवाँ आगे बढ़ता रहा और श्री महमूदुल हक़ खाँ, जो सन 1948 से 1950 तक प्रबन्धक रहे। उस्मानी साहेब और खान साहेब के सपनों को साकार करने के लिए 1951 में श्री मालिक मोहम्मद उमर, प्रबन्धक और पण्डित अकबर अली खाँ ने फ़िर इसी राह पर चल कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया जो कॉलेज के इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ और इंटरमीडिएट मानविकी वर्ग की मान्यता प्राप्त हो गई। फिर ये कॉलेज किंग जॉर्ज इण्टर कॉलेज, उतरौला हो गया। मानविकी वर्ग में हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू, गणित, नागरिक शास्त्र, इतिहास, भूगोल, संस्कृत, फ़ारसी, मनोविज्ञान एवं अर्थशास्त्र की मान्यता प्राप्त हुई। किंग जॉर्ज इंग्लिश स्कूल, उतरौला को 1931-32, किंग जॉर्ज इंग्लिश हाईस्कूल उतरौला को 1937-38 तथा किंग जॉर्ज इंटरमीडिएट कॉलेज, उतरौला को 1951-52 में अनुदान मिला। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि तत्कालीन अनुदान व्यवस्था में वेतन हेतु कुछ अंशदान सरकार द्वारा प्राप्त होता था। अल्पशुल्क, प्रबंधकीय स्रोत आदि को मिलाकर अध्यापकों एवं कर्मचारियों का वेतन भुगतान किया जाता था।
श्री महमूदुल हक़ खाँ और श्री मलिक मोहम्मद उमर के प्रयास से 1952 में मानविकी संकाय के तीन कक्षों और भूगोल प्रयोगशाला का निर्माण कराया हुआ। 26 अगस्त 1963 में श्री जे पी गोविल, डिप्टी कमिश्नर, गोण्डा द्वारा दो कक्षों की नीव रखी गई परन्तु निर्माण कार्य वित्तीय कमी के कारण देर से हुआ। 
1964 में पण्डित अकबर अली सेवानिवृत्त हो गए और श्री मौदूद अहमद सिद्दीकी प्रधानाचार्य बने। 1968 में श्री नूरूल्लाह खाँ, प्रबन्धक ने कमेटी के साथ मिलकर भरपूर कोशिश की और हाजी वहीदुल्लाह खान एण्ड ब्रदर्स, कलकत्ता, हाजी मलिक मोहम्मद उमर एण्ड ब्रदर्स कलकत्ता, हाजी मलिक अब्दुर्रहमान, कलकत्ता, हाजी नूर मोहम्मद एण्ड संस कलकत्ता, कॉलेज मैनेजिंग कमेटी और मुख्य रूप से शिक्षक-अभिभावक संघ के सक्रिय योगदान से  दो कक्षों एवं एक प्रयोगशाला का निर्माण कराया।
वितरण अधिनियम 1971, 29 अगस्त 1971 को पारित होने के उपरांत अध्यापकों एवं कर्मचारियों के वेतन का शत-प्रतिशत भुगतान सरकार द्वारा प्रदान किया जाने लगा। यह अधिनियम सेवकों के लिए बहुत बड़ी बात थी।
1984 में जीवविज्ञान प्रयोगशाला का निर्माण मैनेजिंग बॉडी के ऑफिस बेयरर्स श्री रफी महमूद खाँ, प्रेसिडेंट, श्री सलाहुद्दीन खाँ, वाइस प्रेसिडेंट, श्री नूरूल्लाह खाँ और श्री मतीउल हक खाँ, प्रिंसिपल की देखरेख में, जिसमें पूर्व प्रधानाचार्य श्री मुजीबुल हसन खाँ, जो उस समय अध्यापक थे, की मेहनत भी बहुत मायने रखती है, 1984 में कॉलेज को इंटरमीडिएट विज्ञान वर्ग की मान्यता ले ली। विज्ञान वर्ग में सामान्य हिन्दी, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीवविज्ञान और गणित विषय की मान्यता मिली।
श्री मतीउल हक खाँ ने शिक्षक अभिभावक संघ द्वारा 1986 से 1989 के मध्य पूर्व में साइंस ब्लॉक के ऊपरी प्रखंड के निर्माण कराया जिसमें दो हाल, परीक्षा कक्ष, दो शिक्षण कक्ष के अतिरिक्त हाई स्कूल साइंस लैब (वर्तमान कम्प्यूटर लैब) है। कालांतर में जूनियर ब्लॉक की शुरुआत मतीउल हक साहब ने किया जिसको आगे चलकर श्री मुबीन अहमद सिद्दीकी के कार्यकाल में पूरा कराया गया जिसमें कुल 9 कक्ष हैं। 1996 में कॉलेज ने अपने इतिहास को दुहराने की प्रक्रिया शुरू की। कॉलेज के मैनेजर श्री सलीम महमूद खाँ, प्रिंसिपल श्री मुबीन अहमद सिद्दीकी और कॉलेज के बुद्धजीवी अध्यापकों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल की और कॉलेज का नाम संस्थापक प्रबन्धक के नाम पर एम वाई उस्मानी इण्टर कॉलेज होने के साथ साथ संस्था को अल्पसंख्यक संस्था घोषित करा लिया। 1996 से 2000 के मध्य जुनियर ब्लॉक की छत का कार्य श्री उबैदुर्रहमान द्वारा प्रदत्त विधायक निधि द्वारा कराया गया। पैरेंट टीचर एसोसिएशन के सहयोग से जूनियर ब्लॉक के दोनों मंज़िलों का कार्य श्री सलीम महमूद खाँ और तत्कालीन प्रधानाचार्य श्री मुजीबुल हसन खाँ के कार्यकाल में पूरा कराया गया। वर्तमान में कॉलेज के प्रबंधक श्री अनवर महमूद खाँ और प्रधानाचार्य श्री अबुल हाशिम खाँ हैं। वर्तमान समय में कॉलेज में कुल 60 का स्टाफ़ है। जिसमें 40 पीजीटी, टीजीटी, 05 क्लर्क और 15 चपरासी हैं। वर्तमान छात्र संख्या लगभग 3000 है। ये कीर्तिमान मण्डल स्तरीय है जो विगत सात वर्षों से कायम है। वर्तमान में परिसर का एकेडेमिक बिल्डिंग चार भवनों में विभाजित है जिसमें कुल मिलाकर 45 कमरे और 08 बरामदे हैं। कॉलेज में दो पार्क, प्रेयर ग्राउंड, जूनियर पैसेज, पूल एरिया, फारेस्ट एरिया के अलावा एक बड़ा खेल का मैदान है। कॉलेज में एनसीसी, स्काउटिंग, रेडक्रास और गेम्स की व्यवस्था है। 
वर्तमान परिवेश में शैक्षिक उन्नयन के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन क्लास पर बल दिया जा रहा है। संसाधनों की कमी, विशेषकर पुराने भवन की मरम्मत के लिए विभागीय अथवा शासन स्तर से किसी प्रकार का अनुदान न मिलना कहीं न कहीं रुकावट बनता है। कॉलेज में लेक्चर हाल, मीटिंग हाल, आधुनिक लाइब्रेरी और एक ऑडिटोरियम बनाये जाने की सख़्त ज़रूरत है। ओल्ड बॉयज के एसोसिएशन के गठन और उनका कॉलेज में निरंतर सम्मेलन कराना श्री अबुल हाशिम ख़ाँ की प्रबल इच्छा है। कॉलेज के अलमनी दुनिया के विभिन्न राष्ट्रों के साथ-साथ देश के अलग-अलग कोनों में अपने-अपने क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। गूगल फॉर्म, सोशल मीडिया प्लेटफार्म और विभिन्न लोगों से सम्पर्क कर प्रिंसिपल द्वारा डेटा इकठ्ठा कराया जा रहा है। जल्द ही पहली अलमनी मीट का आयोजन विद्यालय में होगा। 2027 में विद्यालय के प्लैटिनम जुबली का भव्य आयोजन होगा।
विद्यालय के प्रबंधकों की सूची
1- श्री मोहम्मद यूसुफ उस्मानी 1929 से 1948 तक
2- श्री महमूदुल हक़ खाँ 1948 से 1950 तक
3- श्री मलिक मोहम्मद उमर 1950 से 1964 तक
4- श्री नूरूल्लाह खाँ 1964 से 1992 तक
5- श्री अब्दुल अलीम सिद्दीकी 1992 1994 तक
6- श्री सलीम महमूद खाँ 1994 से 2020 तक
7- श्री अनवर महमूद खाँ (कार्यवाहक) 2020 से 2021 तक
8- श्री अनवर महमूद खाँ 2021 से अब तक
विद्यालय के अध्यक्षों की सूची
1- जिलाधिकारी, गोण्डा (पदेन) 1929 से 1984 तक
2- श्री रफ़ी महमूद खाँ 1984 से 1989 तक
3- श्री शरफुद्दीन खाँ 1989 से 1994 तक
4- श्री ज़ुल्फ़िक़ार अली खाँ 1994 से 2014 तक 
5- श्री रजीउद्दीन खाँ 2014 से 2017 तक 
6- श्री मुजीबुल हसन खाँ 2017 से 2019 तक 
7- श्री अनवर महमूद खाँ 2019 से 2021 तक
7- डॉ मलिक मोहम्मद हामिद 2021 से अब तक
विद्यालय के प्रधानाचार्यों की सूची
1- श्री अकबर अली ख़ाँ 1929 से 1964 तक
2- श्री मौदूद अहमद 1964 से 1968 तक
3- श्री समीउल्लाह खाँ 1968 से 1978 तक
4- श्री सै. ग़ुलामुस सिब्तेन 1978 से 1981 तक
5- श्री मतीउल हक खाँ 1981 से 1993 तक
6- श्री इफ़्तेख़ार अहमद खाँ 1993 से 1997 तक
7- श्री मुबीन अहमद सिद्दीक़ी 1997 से 2009 तक
8- श्री मुजीबुल हसन खाँ 2009 से 2012 तक
9- श्री मोहम्मद ज़ुबैर अंसारी 2012 से 2014 तक 
10- श्री अबुल हाशिम ख़ाँ 2014 से अब तक

 

 

Few word from Administration

 

 

Mr. Anwar Mahmood Khan

The Manager

The Manager Message

मैं अनवर महमूद खां, प्रबंधक, एम वाई उस्मानी इण्टर कॉलेज उतरौला जनपद बलरामपुर सदैव विद्यालय के शैक्षिक उन्नयन के लिए तत्पर हूं। विद्यालय के शैक्षिक वातावरण के उन्नयन के लिए विद्यालय प्रबंधन सदैव तत्पर है। विद्यालय 1927 में स्थापित हुआ था। विद्यालय में वर्तमान में सहशिक्षा की व्यवस्था है। कक्षा 6 से कक्षा 12 तक लड़के लड़कियों को समुचित शिक्षा व्यवस्था दी जाती है। निर्धन छात्र छात्राओं के शुल्क की व्यवस्था भी विद्यालय स्तर पर की जाती है। विद्यालय में शिक्षा के अतिरिक्त खेल कूद, एनसीसी, स्काउटिंग आदि की विशेष व्यवस्था है। विद्यालय सदैव शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े बलरामपुर जनपद के उतरौला क्षेत्र के बच्चों को बेहतर शिक्षा व्यवस्था देने के लिए सदैव तत्पर है। बड़े गर्व का विषय है कि विद्यालय की छात्र संख्या पूरे मण्डल में सबसे अधिक है। विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता, उन्नयन और निरंतर विकास के लिए आप सभी लोगों के सुझाव हमारे लिए बेहतर साबित होंगे।

 
 

Mr. Abul Hashim Khan

The Principal

The Principal Message

प्यारे बच्चों, शिक्षकों और अभिभावकों!
आज, एक स्कूल की भूमिका न केवल छात्रों के बीच शैक्षिक उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने के लिए है, बल्कि उन्हें विकास की रेखा पर शिक्षित करने के लिए भी है। अपनी प्रतिभाओं को नए आयामों तक पहुँचाने के लिए उनकी आवश्यकताओं को समझना आवश्यक है। यहां एम वाई उस्मानी इण्टर कॉलेज उतरौला में हम अपने छात्रों की ऐसी सभी जरूरतों को पूरा करते हैं और आउटपुट यह है कि स्कूल में न केवल शिक्षाविदों का योगदान है; लेकिन गुजरते वर्षों में शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ी है। विद्यालय विशाल और शानदार प्रतिभाओं को बढ़ावा देने पर गर्व करता है, खेल, ड्राइंग, साहित्यिक गतिविधियों जैसे क्षेत्रों में सराहना की गई है और कला के कमरे में विभिन्न शैलियों और तकनीकों के माध्यम से लगातार बातचीत और खोज कर रहे हैं, प्रतियोगिताओं में भाग ले रहे हैं, मुद्दों पर बहस कर रहे हैं, नृत्य और गायन का आनंद ले रहे हैं। साथ में, दर्शन, मिशन और मूल्य हमारे सामूहिक जुनून, सपनों और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और हमें मार्गदर्शन करते हैं कि हम छात्रों की क्षमता का एहसास करने के लिए हमारे माता-पिता, समुदाय के साथ कैसे काम करते हैं। माता-पिता के साथ इस सहक्रियात्मक भागीदारी का पोषण करना हमारे विद्यालय समाज के लिए जीवंत अनुभव है। नैतिक रूप से ईमानदार और सामाजिक रूप से जिम्मेदार छात्रों का पोषण करना हमारे विद्यालय का उद्देश्य है, जिसके लिए विद्यालय के कुशल और समर्पित कर्मचारी देश के लिए रत्नों को चमकाने का काम कर रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप सभी क्षेत्रों में अभूतपूर्व परिवर्तन देखे जा रहे हैं। अवसर आपके बजाय दौड़ने नहीं आएंगे, आपको उनकी ओर भागना होगा और उन्हें पकड़ना होगा। भक्ति, कड़ी मेहनत और दृढ़ता कभी भी बिना पहचाने और बिना पहचाने नहीं जाती। विद्यालय की सफलता का रहस्य यह है कि हम मानते हैं कि एक आकार सभी फिट नहीं होता है, इस प्रकार हम प्रत्येक छात्र को एक विशिष्ट मार्ग प्रदान करने का अवसर प्रदान करते हैं जो उसे विशिष्ट जीवन लक्ष्यों तक पहुंचने में सहायता करते हैं। हम उत्कृष्टता को महत्व देते हैं और उम्मीद करते हैं कि हमारे छात्र अपना सर्वश्रेष्ठ हासिल करेंगे।
2014 के बाद से विद्यालय में छात्र संख्या में निरन्तर गुणोत्तर वृद्धि हो हो रही है। हमारे सम्मुख सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण परिवेश के बच्चों को निखारना है। शैक्षिक रूप से जनपद के अतिपिछड़े होने के कारण छात्रों के साथ कड़ी मेहनत करनी होती है। वर्तमान परिवेश में छात्रों, अध्यापकों के साथ साथ अभिभावकों की भी जिम्मेदारी है कि अपने बच्चों की बेहतर निगरानी करें ताकि उनके शैक्षिक उन्नयन में किसी भी प्रकार की कमी न रहे। 
अक्सर देखरेख के अभाव में छात्र अपने  शैक्षिक मार्ग से विमुख हो जाता है। मेरा विद्यालय 1927 से कक्षा 01 से प्रारंभ हुआ था। 1929 में किंग जॉर्ज इंग्लिश स्कूल और 1937 में किंग जॉर्ज हायर सेकंडरी स्कूल के रूप में स्थापित हुआ। 1951 से इण्टर कॉलेज के रूप में साथ अद्यतन संचालित है। 
विद्यालय में उत्तम शैक्षिक परिवेश, बच्चों की शिक्षा को बेहतर बनाने का निरंतर प्रयास मेरे द्वारा किया जाता है। समय समय पर विभिन्न प्रकार की गतिविधियों को संचालित कर, अच्छे से अच्छा प्रयास किया जाता है ताकि बच्चों को बेहतर दिशा एवं दशा मिले। 
वर्तमान समय में शिक्षकों की कमी और बढ़ती छात्र संख्या गुणवत्ता में सुधार लाने के सापेक्ष एक बड़ी चुनौती है। यद्यपि उक्त चुनौती से निबटने के लिए पूरा प्रयास किया जाता है। सीमित संसाधनों में बेहतर करना हमारी प्रथम वरीयता है।


 
 

Few Words from Parents

  • You have a miracle going on here, and we love being a part of it.

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